कृषि उर्वरक | Agricultural fertilizer - सम्पूर्ण अध्ययन


कृषि में काम आने वाले प्रमुख उर्वरक (Fertilizers)

1. नत्रजन उर्वरक (Nitrogen fertilizer)

👉 वे उर्वरक जो पौधों को नाइट्रोजन तत्व प्रदान करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं, नत्रजन उर्वरक कहलाते हैं।
👉 अमोनियम उर्वरक - अमोनियम सल्फेट, अमोनियम क्लोराइड, अमोनियम, सल्फेट नाइट्रेट।
👉 नाइट्रेट उर्वरक -सोडियम नाइट्रेट, कैल्शियम नाइट्रेट।
👉 अमोनियम एवं नाइट्रेट उर्वरक-अमोनियम नाइट्रेट, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, अमोनियम सल्फेट नाइट्रेट।
👉 एमाइड उर्वरक- यूरिया, यूरिया फास्फेट, यूरिया सल्फेट, कैल्शियम साइनामाइड 
👉 नाइट्रोजन विलयन - निर्जलीय अमोनिया, जलीय अमोनिया।
👉 मंद प्राप्य नाइट्रोजन उर्वरक यूरिया फार्मेल्डीहाइड यौगिक, ऑक्साइड, मैटल अमोनियम फास्फेट।
👉 यूरिया व कैल्शियम साइनाइड नत्रजन उर्दरकों में कार्बनिक उर्वरक कहलाते हैं।
👉 प्रति हैक्टेयर धरातल के ऊपर वायुमण्डल में 90000 टन नत्रजन होती है।
👉 वायुमण्डल अमोनिया संश्लेषण हेतु नाइट्रोजन का स्रोत है।
👉 प्राकृतिक गैस, पैट्रोलियम उत्पाद तथा कोयला अमोनिया संश्लेषण हाइड्रोजन का स्रोत है।
👉 भारत में अमोनिया संश्लेषण में सर्वाधिक उपयोग नेप्था का होता है।
👉 रिफाइनरी गैस का प्रयोग अमोनिया संश्लेषण के लिए ट्राम्बे और बडौदा कारखानों में किया जाता है।
👉 कोक भटटी से प्राप्त गैसों का उपयोग अमोनिया संश्लेषण के लिए राउरकेला तथा हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड कारखाने में किया जाता है।
👉 प्राकृतिक गैसों का उपयोग अमोनिया संश्लेषण के लिए नामरूप (असम) कारखाने में किया जाता है।
👉 विद्युत अपघटनी हाइड्रोजन का उपयोग अमोनिया संश्लेषण के लिए नार्वे, कनाडा, इटली, जापान देशों में किया जाता है।
👉 नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का प्रभाव 3 से 4 दिन तक होता है। जबकि पोटाश व फॉस्फोरस का अवशोषण 1 से 2 वर्ष तक होता रहता है।
👉 उर्वरकों को मृदा की ऊपरी (1 से 10 mm ) सतह में डालना चाहिये।
👉 लवणीय (Saline) मृदा में नाइट्रोजन को नाइट्रेट के रूप में डालना चाहिए।
👉 सर्वाधिक उर्वरक उपभोग (kg./hac.) करने वाला राज्य पंजाब है।
👉 सर्वाधिक उर्वरक खपत वाला राज्य उत्तर प्रदेश है।
👉 भारत के नांगल फर्टिलाइजर कारखाने में विद्युत अपघटनी हाइड्रोजन का प्रयोग अमोनिया संश्लेषण में किया जाता है।
👉 अमोनिया तीव्र गंध वाली क्षारीय गैस हैं ।
👉 अमोनिया में भारानुसार नाइट्रोजन 82 प्रतिशत होती है।
👉 अमोनिया गैस वायु से हल्की होती है।
👉 द्रव अमोनिया जल से हल्की होती है।
👉 अमोनिया को सूंघने से आंसू निकलते है।
👉 शरीर पर द्रव अमोनिया गिरने से घाव होता है।
👉 सल्फ्यूरिक अम्ल बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में सल्फर या पाइराइट का प्रयोग जाता है।
👉 एक तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के उत्पादन के लिए 320 किग्रा. या 700 किग्रा. पाइराइट (45 प्रतिशत) तथा 50 किग्रा कोयला एवं 22.6 लीटर जल की आवश्यकता होती है।
👉 सान्द्र अम्ल त्वचा को जला देता है।

प्रमुख नाइट्रोजन  उर्वरक (Nitrogen fertilizer) -

  • 1.  सोडियम नाइट्रेट  -   16.1% N
  • 2.  अमोनियम सल्फेट  -  20% N, 23.70% S
  • 3.  कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट  -  20% N, 8.1% S, 4.5% Ca
  • 4.  अमोनिया सल्फेट नाइट्रेट  -  26% N, 15.10% S
  • 5.  यूरिया   -  46% N
  • 6.  अमोनियम नाइट्रेट   -  33% N
  • 7.  अमोनियम क्लोराइड   -  26% N
  • 8.  कैल्शियम सायनामाइड   -  21% N , 39.1% Ca
  • 9.  निर्जल-अमोनिया  -  82.2% N
  • 10.अमोनियम विलयन  -  (NH4OH)- 20-25% N
  • 11. अमोनियम क्लोराइड  - 15% N
  • 12. अमोनियम नाइट्रेट  -  34% N, 19.5% S

2. फास्फेटिक उर्वरक (Phosphatic fertilizer)

👉 पौधों को मृदा से फॉस्फोरस प्राप्त होता है।
👉 वह अकार्बनिक पदार्थ जो पौधों को फॉस्फोरस प्रदान करने के लिए प्रयोग किये जाते है उसे फॉस्फोरस उर्वरक कहते है।
👉 सभी फॉस्फेटिक उर्वरकों में पादप पोषक मात्रा फॉस्फोरस पेन्टा ऑक्साइड (P2O5) की प्रतिशतता के रूप में व्यक्त की जाती
👉 पानी में विलेय मोनोकैल्शियम फॉस्फेट होता है।
👉 पानी में अविलेय जबकि हल्के अम्लों में विलेय डाई कैल्शियम फॉस्फेट होता है।
👉 ट्राई कैल्शियम फॉस्फेट जल तथा तनु अम्लों दोनों में अविलेय होता है।

जल विलेय फॉस्फोरिक अम्ल या मोनो कैल्शियम फॉस्फेट उर्वरक है-

  • 1. सिंगल सुपर फॉस्फेट   -  16-18% P2O5, 12%S, 18-21% Ca
  • 2. डबल सुपर फॉस्फेट  -  32%P2O5
  • 3. ट्रिपल सुपर फॉस्फेट  -  46-48%P2O5

साइट्रिक अम्ल विलेय फॉस्फोरिक अम्ल या डाइ कैल्शियम फास्फेट युक्‍त उर्वरक है-

  • 1. बेसिक स्लेग   -  14से 48% P2O5
  • 2. डाइ कैल्शियम फास्फेट  -  34 से 39% P2O5
  • 3. रेनेनिया फास्फेट  -  23 से 26% P2O5
  • 4. कच्चा एवं भाप उपचारित अस्थि चूर्ण

जल एवं साइट्रिक अम्ल में विलेय फास्फोरिक अम्ल या ट्राइकैल्शियम फास्फेट युक्त उर्वरक

  • 1. कच्चा अस्थि चूर्ण  - 20-25% P2O5
  • 2. भाप उपचारित अस्थि चूर्ण  - 22% P2O5,
  • 3. रॉक फास्फेट  - 20-40% P2O5
  • 4. उदयपुर रॉक फास्फेट  - 30-32% P2O5
  • 5. मसूरी रॉक फॉस्फेट  - 16-20% P2O5

भारत में किसानों को चार प्रकार के फॉस्फेटिक उर्वरक मिलते है।
  • 1. सुपर फॉस्फेट 
  • 2. बेसिक सस्‍लेग 
  • 3. बोनमील 
  • 4. रॉक फॉस्फेट

👉 भारत में पहला निर्मित उर्वरक सिंगल सुपर फॉस्फेट था।
👉 भारत में सबसे अधिक उपयोग होने वाला फॉस्फोरस उर्वरक सिंगल सुपरफॉस्फेट है।
👉 स्यूडोमोनास जीवाणु फॉस्फोरस की घुलनशीलता को बढ़ाता है।

3. पोटाश उर्वरक (Potash fertilizer)

👉 पादप पोषण में पोटाश का तीसरा स्थान माना जाता है।
👉 मृदा से पौधों द्वारा पोटाश तत्व प्राप्त किया जाता है।
👉 मृदा में पोटाश तत्व की मात्रा नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस से ज्यादा होती है।
👉 प्रकृति में पोटेशियम खनिज तत्व सिल्वाइट कार्नेलाइट, केनाइट, लैंग्बीनाइट| होते है।
👉 जिस भूमि की पैदावार पत्तो सहित बाजार में पहुंच जाती है जैसे
👉 शलजम, प्याज, टमाटर, तम्बाकू, गोभी आदि में पोटेशियम की कमी पायी जाती है।

पोटाशिक उर्वरक (Potash fertilizer)

A. क्लोराइड युक्त पोटेशियम क्लोराइड (MOP या किसान खाद)     -   60% K2O

B. क्लोराइड विहिन -
  • 1. पोटेशियम कार्बोन  -  65% K2O
  • 2. पोटेशियम मैग्नीशियम कार्बोनेट  -  20% K2O
  • 3. पोटेशियम मैग्नीशियम सल्फेट  -  21-30% K2O
  • 4. पोटेशियम सल्फेट  -  48-52% K2O, 20%S
  • 5. पोटेशियम नाइट्रेट  -  44% K2O
  • 6. पोटेशियम सोडियम नाइट्रेट  -  15% K2O
  • 7. पोटेशियम पॉली फॉस्फेट  -  39% K2O

👉 पोटेशियम नाइट्रेट को कलमीशोरा (Salt petre of nitre) के नाम से पुकारते है।
👉 पोटेशियम क्लोराइड उर्वरक का प्रयोग तम्बाकू तथा चुकंदर फसलों में नहीं करना चाहिए ।
👉 सर्वाधिक पोटेशियम यूक्लिप्टस की राख (23.8%) में पाया जाता है।
👉 सबसे कम पोटेशियम कोयले की राख 0.5% में पाया जाता है ।

खाद एवं उर्वरकों का अनुप्रयोग

👉 कार्बनिक खादों को भारत में खेतों में छिटकवां विधि से दिया जाता है।
👉 भारत में किसान गोबर की खाद को छोटी छोटी ढेरी बनाकर खेतों में देते हैं
👉 डेनमार्क प्रयोग के अनुसार यदि गोबर की ढेरियों को 14 दिन तक खेत में फैलाया जाता है तो उनमें पोषक तत्वों की कमी 50 प्रतिशत तक हो जाती है।

भारत में उर्वरक प्रयोग करने की विधियां-
1. ठोस रूप में
2. द्रव रूप में 

ठोस रूप में खेत में उर्वरक देने की विधियां 

(अ) छिटकवां विधि (Broad Casting Method)
  • 1. बुवाई के समय छिटकवां विधि 
  • 2. टॉप ड्रेसिंग 

(ब) संस्थापन विधि (Placement Method)
  • 1. हल दुस्तर संस्थापन (Plough sole Placement )
  • 2. गहन संस्थापना (Deep Placement )
  • 3. अवमृदा संस्थापन (Sub soil Placement ) 

(स) स्थानिक संस्थापन (Localized Placement)
  • 1. स्पर्श संस्थापन(Drill Placement )
  • 2. पट्टी संस्थापन (Band Placement)
  • 3. गोलिका अनुप्रयोग (Pellet application)
  • 4. बगल में उर्वरक डालना

 द्रव रूप में उर्वरक प्रयोग करने के लिए निम्न विधियां अपनायी जाती है-
  • 1. प्रारम्भिक उर्वरक विलयन (Starter fertilizer solution)
  • 2. पर्ण अनुप्रयोग (Foliar application)
  • 3. मृदा में उर्वरक विलयन का प्रत्यक्ष प्रयोग
  • 4. सिंचाई के जल के साथ अनुप्रयोग 

👉 नाइट्रोगेशन (Nitrogation)- निर्जलीय अमोनिया को सिंचाई के साथ प्रयोग करने की विधि को कहते है।
👉प्रारम्भिक उर्वरक विलयन (Starter fertilizer solutions) में 1:2:1 /1 :1:2 N :P :K का अनुपात होता है।
👉 प्रारम्भिक उर्वरक विलयन को पौध लगाने के समय साग सब्जियों की फसलों में उपयोग में किया जाता है।
👉 पौधे उगने से लेकर फसल की कटाई तक वृद्धि के लिए नाइट्रोजन पौधों को आवश्यक होती है।
👉 नत्रजन उर्वरकों को फसल में आधी मात्रा फसल बुवाई के समय तथा आधी मात्रा दो बार टॉप ड्रेसिंग के समय देना चाहिए।
👉 फसल की प्रारम्मिक अवस्था में जड़ों के विकास के लिए फॉस्फोरस की पौधों को सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
👉 पोटाश की आवश्यकता पौधों को फसल उगाने से फसल काटने तक होती है।
👉 उर्वरकों में चल पोषण लवण मृदा में एक जगह डालने पर पानी में घुलकर मृदा की पूरी सतह में फैल जाते है। जैसे-नाइट्रेट, क्लोराइड और सल्फेट आदि।
👉 उर्वरकों में अचल पोषण लवण मृदा में जिस स्थान पर डाले जाते हैं वहीं पड़ रहते हैं और जडो के पोषक तत्वों के पास आ जाते है और पौधे को प्राप्त हो जाते हैं। जैसे- फॉस्फोरस, अमोनिया,पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयन, जिंक, मैग्नीज, मोलीब्डेनम आदि।
👉 गोबर खाद तथा कम्पोस्ट को खेतों में 4-6 से सप्ताह पहले डालना चाहिए
👉 खलियां फसल बोने के 8-10 दिन पहले खेतों में मिला देनी चाहिए।
👉 साधारण अवस्था में हरी खाद का प्रयोग बुवाई से 4-2 माह पहले करना चाहिए।
👉 धान की फसल में नत्रजन का प्रयोग कल्ले फूटने एवं फूल आने की प्रावस्थाओं में करना चाहिए।
👉 खड़ी फसल में उर्वरक देने की विधि टॉप ड्रेसिंग कहलाती है।

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