पादप पोषण (PLANT NUTRITION)
👉 पौधे अपनी वृद्धि के लिए मृदा, जल तथा वायु से कई तत्वों का शोषण करते है एवं जो पौधों के पोषण में भाग लेते है वह पोषक (Nutrients) कहते है।
👉 पादप पोषण के लिए आवश्यक पोषक तत्व 17 होते हैं
👉 कार्यिकी (Funcational Nutrient) यह शब्द D.J. निकोलस ने सन् 1963 में दिया।
👉 कार्यिकी तत्व 21 है व अनिवार्य तत्व 17 तथा लाभदायक पोषक तत्व 4 है जो निम्न प्रकार से है- कोबाल्ट, वेनेडियम, सिलिकोन, सोडियम जो सम्मिलित रूप से कार्यिकी तत्व कहते है।
👉 पोषक तत्व प्रबन्ध का सुझाव वर्ष 1947 में सर्टीपट ने दिया।
👉 पादप पोषण में तत्वों की अनिवार्यता की कसौटी- आरनोन तथा स्टाउट (1954) के अनुसार आवश्यक पोषक तत्व वह है-
- 1 . जिसकी कमी के कारण पौधें अपने जीवनचक्र को पूर्ण नहीं कर सकते हैं।
- 2. एक आवश्यक तत्व की कमी दूसरे आवश्यक तत्व के द्वारा पूरी नहीं की जा सकती है।
- 3. यह पोषक तत्व पौधों के पोषण में सीधे से निहित होते हैं। किसी पोषक तत्व की कमी होने के कारण यदि कोई चिन्ह पौधे पर दिखाई दिये और जब उस तत्व को पौधे को देने पर उक्त चिन्ह मिट जाते हैं तो यह तत्व आवश्यक तत्व माना जाता है।
👉 वायु से प्राप्त होने वाले पोषक तत्व कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन पोषक तत्व होते है।
👉 पादप पोषण के लिए आवश्यक उर्वरक तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटेशियम होते है।
👉 पादप पोषण के लिए आवश्यक चूना तत्व कैल्शियम एवं मैग्नीशियम है।
👉 स्थूल/ मुख्य / वृहत (Macro) पोषक तत्व C, H, O, N,P, K, Ca, Mg, S
👉 पादप पोषण के लिए प्राथमिक पोषक तत्व C, H, O, N,P, K है।
👉 पादप पोषण के लिए द्वितीयक पोषक तत्व Ca, Mg, S है।
👉 सूक्ष्म पौषक तत्व आयरन,मैगनीज, बोरोन, जिंक, कॉपर,मोलिबडेनम, क्लोरीन एवं निकिल माने जाते है। व इनमें से सबसे अधिक मात्रा में लोहा व सबसे कम मात्रा में मोलिबडेनम तत्व की आवश्यकता होती है।
👉 17 वें आवश्यक तत्व निकिल (Ni) तत्व जुड़ा है।
👉 पादप पोषण के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटेशियम पोषक तत्व माने जाते है।
👉 पादप पोषण के लिए गौण पोषक तत्व (Secondary Nutrients) कैल्सियम.मैग्नीशियम एवं सल्फेट होते है।
👉 पोधों में सूक्ष्म तत्वों की 1 P.P.M. से कम की मात्रा आवश्यक होती है।
👉 लिथोफाइल सूक्ष्म तत्व B एवं Mn होते है।
👉 चैल्कोफाइल तथा सिडरोफाइल सूक्ष्म तत्व Mo एवं Cu होते है।
👉 लिथोफाइल, चैल्कोफाइल तथा सिडरोफाइल सूक्ष्म तत्व Fe होता है।
👉 ऊर्जा विनियक पोषक तत्व हाइड्रोजन और ऑक्सीजन होते है।
👉 ऊर्जा संग्रही पोषक तत्व कार्बन, नाइट्रोजन फॉस्फोरस एवं सल्फर होते है।
👉 स्थानान्तरण नियामक (Translocation) पोषक तत्व पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम होते है।
पौधों में कार्य के आधार पर पौषक तत्वों का वर्गीकरण -
- 1. आधारभूत संरचनात्मक तत्व - C, H, O
- 2. सहायक संरचनात्मक तत्व - N, P, S
- 3. नियामक एवं वाहक तत्व - K, Ca, Mg
- 4. उत्प्रेरक एवं क्रियावर्धन - Fe, Mn, Zn, Mo, Cl, B, Al
गतिशीलता के आधार पर पौषक तत्वों का वर्गीकरण -
- 1. अत्यधिक गतिशील - N, P, K, Mg, Mo
- 2. मध्यम गतिशील - Zn
- 3. कम गतिशील - S, Fe, Mn, Cu, Cl,
- 4. स्थिर - Ca, B
पौधो द्वारा प्रयुक्त पोषक तत्वों के रूप -
A. असंयुकत रूप से या तत्व के रूप में शोषित पोषक तत्व -
तत्व रूप
1.पोटेशियम K+
2.कैल्शियम Ca++
3. मैग्नीशियम Mg++
4. आयरन Fe++ (फेरस) , Fe+++ (फेरिक)
5. मैंगनीज Mn++(मेगनस) , Mn+++ (मेगनिक)
6. कॉपर Cu+ (क्यूप्रस) , Cu++ (क्यूप्रिक)
7. जिंक Zn++
8. क्लोरीन Cl-
9. सोडियम Na+
B. संयुक्त (Combiined form) या लवणों के रूप में शोषित पोषक तत्व, रूप
तत्व रूप
1. नाइट्रोजन NH4+ (अमोनिया), NO3- (नाइट्रेट)
2. फॉस्फोरस PO4--- (मोनोफॉस्फेट) HPO4-- (डाईफॉस्फेट) H2PO4- (ट्राईफॉस्फेट)
3. सल्फर SO3-, SO4-- (सल्फेट)
4. मोलिब्डेनन MoO4-- (मॉलीब्डेट)
5. कार्बन CO3-- (कार्बोनेट), HCO3- (बाईकार्बोनेट)
6. हाइड्रोजन H+, OH- (हाइड्रोक्सिन आयन)
7. ऑक्सीजन OH- , CO3-- , SO4-- , CO2
8. बारोन BO3- (बोरेट) , HB4O7 (बाईबोरेट)
👉 पौधों को ऑक्सीजन जल तथा CO2 से प्राप्त होती है।
👉 प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पानी से मिलकर O2, आक्सीजन निकलता है।
👉 पौधों में श्वसन तथा प्रकाश संश्लेषण क्रियाओं में प्रधान कार्य ऑक्सीजन द्वारा किया जाता है।
👉 पौधों को हाइड्रोजन जल से प्राप्त होती है।
👉 पौधों में नाइट्रोजन पोषक तत्व का उपयोग होता है। क्लोरोफिल, एमीनो अम्ल, विटामिन, न्यूक्लिक अम्ल प्रोटीन, एमाइडस, एल्केलाइडस तथा प्रोटोप्लाज्म की संरचना में।
👉 नाइट्रेट रिडक्टेज एन्जाइम का संश्लेषण नाइट्रेट की उपस्थित होता है।
👉 पौधों में ऑक्सिन बनना नाइट्रोजन मात्रा से उत्तेजित होता है।
👉 पौधों में फॉस्फोरस पोषक तत्व फॉस्फोप्रोटीन, फाइटिम, का उपयोग फास्फोलिपाइडस व न्यूक्लिक अम्ल के रूप में होता है।
👉 फॉस्फोरस फॉस्फोलिपिड के अतिरिक्त शुगर फास्फेट, न्यूक्लियोटाइड और कोएन्जाइम भी पाया जाता है।
पादप पोषक में आवश्यक तत्वों के विशिष्ट कार्य-
नाइट्रोजन तत्व के कार्य -
- 1. नाइट्रोजन पौधों को क्लारोफिल, अमीनों अम्ल, विटामिन्स, न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन तथा प्रोटोप्लाज्मा की संरचना में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
- 2. नाइट्रोजन ए.टी.पी. का एक अवयव है।
- 3.पौधों में ऑक्सीजन का बनना नाइट्रोजन की मात्रा से उत्तेजित होता है।
- 4. मृदा में सर्वाधिक गतिशील तत्व नाइट्रोजन है।
- 5. पौधों में नियन्त्रक का कार्य करती है। इससे फास्फोरस व पोटेशियम का विनिमय का सन्तुलन रहता है।
- 6. नाइट्रोजन से गन्ना, गेहूं, जई में कल्ले अधिक फूटते है।
फास्फोरस तत्व के कार्य -
- 1. ऊर्जा रूपान्तरण, वसा तथा प्रोटीन उपापचय में।
- 2. ऊतकों के श्वसन एवं ऑक्सीडेस एन्जाइम की सक्रियता में।
- 3. इसे एनर्जी मुद्रा भी कहते हैं।
- 4. पौधों की पार्श्व एवं रेशेदार जडों के निर्माण में
- 5. जडों में स्थित ग्रन्थियों की संख्या तथा आकार में वृद्धि करना।
- 6.शीघ्र फूल तथा बीजों का निर्माण करना |
- 7.पौधों में कीटों के आक्रमण को सहन करने की क्षमता बड़ जाती है।
- 8. पौधों पर फूल शीघ्र आते है तथा फसलों को शीघ्र पकाता है |
पोटेशियम तत्व के कार्य-
- 1. पोटेशियम पौधों में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।
- 2. दैहिक कार्यो के लिए पोटेशियम आवश्यक पोषक तत्व है
- 3. पौधों में विभज्योतकों में सामान्य कोशिका विभाजन को पोटेशियम " है
- 4. यह तत्व बीमारी तथा सूखा सहन करने की शक्ति देता है।
- 5. पौधों द्वारा सर्वाधिक मात्रा में ग्रहण किया जाने वाला तत्व है ।
- 6. यह पत्तियों में शर्करा एवं स्टार्च के निर्माण में वृद्धि करता है।
- 7.यह उत्सवेंदन को प्रभावित करके पानी को पत्तियों द्वारा भाप बनकर उड़ने से रोकता है।
- 8. प्रोटीन संश्लेषण में एनजाइम की क्रिया को बढ़ाता है।
- 9. पौधों में पर्ण रंध्रों (स्टोमेटा) के खुलने तथा बंद होने का नियंत्रित करता है |
कैल्सियम तत्व के कार्य -
- 1. पौधों में कैल्शियम पोषक तत्व पत्तियों के बीच पटलिका के रूप में पाया जाता| है।
- 2. यूरोनिक अम्ल के लवण के रूप में।
- 3. जड़ के शिरों में विभज्योतकों की सक्रियता में।
- 4. अविषकारी कारक के रूप में।
- 5. कार्बोहाइड्रेट के स्थानान्तरण में।
- 6. यह बीज निर्माण को उत्साहित करता हैं
- 7. दलहनी फसलों की जड़ों में ग्रन्थियों का विकास करता है।
- 8. मूंगफली, आलू व तम्बाकू के लिये भी लाभदायक है।
मैग्नीशियम तत्व के कार्य-
- 1. पौधों में क्लोरोफिल निर्माण में आवश्यक पोषक तत्व मैग्नीशियम होता है।
- 2. पौधों में उपस्थित अम्लों सिस्टाइन, सिस्टीन तथा मिथियोनीन तथा सल्फर प्रोटीन संश्लेषण में आवश्यक पोषक तत्व है।
- 3. पौधों में तेल एवं वसा बनाने के लिये जरूरी है।
- 4. मैग्नीशियम क्लोरोफिल का एक अवयव है अतः इसके बिना कोई भी पौधा हरा नहीं हो सकता है।
सल्फर (गन्धक) पोषक तत्व के कार्य-
- 1. सल्फर युक्त एमीनो अम्लों में।
- 2 .विटामिन्स, कोएन्जाइम एवं ग्लूटाथायोन में।
- 3. सल्फाहाइड्रिल समूह में।
- 4. प्रोटियोलिटिक एन्जाइम जैस पपेनस की क्रिया का प्रोत्साहित करना |
- 5. तिलहनी फसलों में गन्धक का विशेष महत्व होता है।
- 6. प्याज एवं लहसुन की गुणवत्ता के लिये गन्धक आवश्यक है।
- 7. यद्यपि सल्फर क्लोरोफिल की संरचना का अंग नहीं है फिर भी क्लोरोफिल के निर्माण में सहायक होता है जिससे पौधा हरा-भरा रहता है।
आयरन पोषक तत्व के कार्य-
- 1. कलोरोफिल निर्माण के लिए आवश्यक
- 2. पौधों में नाइट्रेट का अवकरण
- 3. आक्सीकरण अवकरण
- 4. सोयाबीन में मोलिब्डेनम को प्रतिस्थापित करना।
- 5. श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन वाहक का कार्य करता है।
- 6 . आयरन ऑक्सीकारी एन्जाइम (कैटालेज, परॉक्सीडेस एवं साइटोक्रोम बी और सी का संघटक)
मैग्नीज पोषक तत्व के कार्य-
- 1. क्लोरोफिल निर्माण में सहायक होता है।
- 2. क्रेब चक्र में सहायक है।
- 3. नाइट्रेट स्वांगीकरण में ।
- 4. सूक्रोज की मात्रा में सहायक होता है।
- 5. ऑक्सीकरण एवं अपचयन में उत्प्ररेक का कार्य करता है।
- 6. कार्बोहाइड्रेट के निर्माण में सहायक है।
जिंक पोषक तत्व के कार्य-
- 1. एल्कोहल डिहाइड्रोजिनेस, पेप्टीडेस, एन्जाइम में ।
- 2. ऑक्सीजन के सान्द्रण को नियमित करना।
- 3. कार्बोहाइड्रेटस का रूपान्तरण में।
- 4. प्रोटीन, केरोटीन तथा सिट्रिन के संश्लेषण में।
- 5. जल के अवशोषण को बढाना।
- 6. इनोलेस, ऑक्जेलो एसिटिक डिकार्बोक्सीलेस, लेसीथिनेस सिस्टीव आदि एनजाइम उत्प्रेरक के रूप में।
कॉपर (ताबां) पोषक तत्व के कार्य-
- 1. क्लोरोफिल निर्माण एवं आयरन के उपयोग में।
- 2. क्लोरोफिल के विनाश को रोकने में।
- 3. इन्डोल एसिटिक अम्ल का संश्लेषण में।
- 4. फफूँदी (कवक) बीमारी की रोकथाम के लिए।
- 5. पौधों में विटामिन- 'ए' की वृद्धि निर्माण में सहायक है।
- 6. टाइरोसिनेस,लेकेज,एस्कोर्बिक अम्ल, ऑक्सीडेस, मोनोफिनॉल आक्सीडेस एन्जाइम्स का मुख्य अंग है।
बोरोन पोषक तत्व के कार्य-
- 1. पौधों में कैल्शियम व पोटेशियम के अनुपातों को नियंत्रित करता है।
- 2. प्रोटीन संश्लेषण में सहायक है।
- 3. दलहनी फसलों में राइजोबियम (सहजीवी) जीवाणु के लिये आवश्यक है।
मौलिब्डेनन पोषक तत्व के कार्य-
- 1. एस्कार्बिक अम्ल (विटामिन सी) के संश्लेषण में।
- 2. फॉस्फोरस मेटाबोलिज्म में सहायक है।
- 3. नाइट्रेट रिडक्टेस एनजाइम का मुख्य भाग है।
- 4. शर्कराओं का संश्लेषण करता है।
- 5. अमोनियम तथा नाइट्रेट अवकरण में।
- 6. ऐजोटोबेक्टर तथा राइजोबियम बैक्टीरिया द्वारा मुक्त नाइट्रोजन स्थिरीकरण के ल आवश्यक है।
क्लोरीन पोषक तत्व के कार्य-
- 1. रसाकर्षण दाब को बढ़ाता है।
- 2. एन्थोसायनिन्स का संघटक है।
- 3. कोशिका रस में धनायन सन्तुलन बनायें रखता है।
कोबाल्ट पोषक तत्व के कार्य-
- 1. विटामिन B -12 (हिमोग्लोबिन) निर्माण में ।
- 2. वाष्पेत्सर्जन एवं प्रकाश संश्लेषण में वृद्धि करता है।
- 3. राइजोबियम नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक है |
- 4. आर्जनिस, लेसीथिनेस, ऑक्जल एमिटिक डिकार्बोक्सीलेस तथा मौलिक एन्जाइम की सक्रियता के लिए आवश्यक है।
वेनेडियम पोषक तत्व के कार्य-
- 1. चुकन्दर में सूखा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
- 2. जल ग्रहण को प्रभावित करता है
- 3. गन्ने की वृद्धि को बढ़ाता है।
- 4. हरी एल्गी के लिए आवश्यक है
सोडियम पोषक तत्व के कार्य-
- 1. यह चुकन्दर में सूखे के प्रतिरोध में वृद्धि करता है।
- 2. पौधों द्वारा जलग्रहण करने को प्रभावित करता है।
- 3. स्टोमेटा को खोलने में सहायक होता है।
सिलिकॉन पोषक तत्व के कार्य-
- 1. चावल के पौधें की लम्बाई तनों की संख्या तथा ताजा शुष्क में वृद्धि होती है ।
पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोग
ज़िक॑ तत्वों की कमी से होने वाले रोग-- 1. अमरूद वृक्षों में कांस्यन रोग (Bronzini)
- 2. आडू का रोजेट
- 3. धान में खेरा रोग
- 4. मक्का का श्वेत कली रोग।
- 5. अमरूद में ब्राउनी व लिटिल लीफ रोग।
- 6. नींबू की वामन पत्ति (Little Leaf) या चित्तिदार बहुरंगी पत्ती (Mottle Leaf)
मैंगनीज तत्वों की कमी से होने वाले रोग-
- 1. जई या जौ में भूरी चित्ती रोग (Grey speek)
- 2. सेलेरी में विदित तना (Cracked tip)
- 3. सेव में आन्तरिक कार्य (Internal cork)
- 4. रिंजका में पीली फुनगी (Yellow tip)
- 5. शलजम में भूरा आंतर (Brown heart)
- 6. पत्ता गोबी में भूरा रोग (Browning)
- 7. तम्बाकू में शिखर व्याधि (Top Sickness)
कैल्शियम तत्वों की कमी से होने वाले रोग-
- 1. सेंव फल का धब्बा रोग।
- 2. नींबू में फल का फटना।
- 3. बाजरे में श्वेत कली रोग
नाइट्रोजन तत्वों की कमी से होने वाले रोग-
- 1. फूल गोभी में बटनिंग रोग।
- 2. पौधों की बढ़ोतरी एवं जड़ो का विकास रोकना ।
- 3. पुरानी पत्तियों का नोक की तरफ से पीला पड़ना। फसल शीघ्र पकना
- 4. दानो का सिकुड़ना व उपज काम होना
- 5. नाइट्रोजन की अत्यधिक कमी से पत्तियों का रंग सफेद हो जाता है
मोलीब्डेनम तत्वों की कमी से होने वाले रोग-
- 1. फूलगोभी में व्हिपटेल बीमार।
- 2. नींबू में पत्ति धब्बा रोग।
- 3. टमाटर के नीचे की पत्तियों में मोल्टिगं व नेक्रोसिस बीमारी |
बोरोन तत्वों की कमी से होने वाले रोग-
- 1. आम व आंवला में नेक्रोसिस व ऊतक से बीमारी।
- 2. सब्जियों में नेक्रोसिस बीमारी
- 3. अंगूर में हेन तथा चिकन रोग ।
- 4. सेंव व अनार के फलों फटना।
- 5. चुकन्दर में ब्लैक हर्ट रोग।
- 6. मूली में अक्सीन रोग।
- 7. रिजका में रोजेट बीमारी |
- 8. फूल गोभी में ब्राउनी रोग एवं होलोहर्ट या हार्टरोट
ऑक्सीजन तत्वों की कमी से होने वाले रोग-
- 1. धान में टिप बर्न रोग।
- 2. आलू में ब्लैक हार्ट रोग ।
क्लोरीन तत्वों की कमी से होने वाले रोग-
- 1. आम में लिफस्क्रोच बीमारी क्लोरिन तत्व की अधिकता के कारण होती है।
- 2. पत्ता गोबी लीफकर्ल ।
- 3. टमाटर में क्लोरोसिस।
कॉपर तत्वों की कमी से होने वाले रोग-
- 1. नींबू वर्गीय पौधों में नई वृद्धि करने वाले पौधों में डाइबेक व जेन्थिमा बीमारी ।
- 2. कॉपर की कमी से सबसे नई पत्तियॅा बौनी एवं पीली पड़कर मुरझा जाती है तथा धान्य फसलों में सुधार रोग हो जाता है।
- 3. रिजके के पौधों की पत्तियों का रंग हल्का पड़ जाता है और वे स्लेटी धूसर रंग हो जाती है।
फास्फोरस तत्वों की कमी से होने वाले रोग-
- 1. पत्तीयां हसिया (सिकल) आकार की हो जाती है। फास्फोरस एक ऐसा तत्व है जिसकी कमी से पौधा अपना जीवन चक्र पूर्ण नही कर सकता है। इसलिए फास्फोरस को Key of life भी कहते हैं।
- 2. फास्फोरस पौधों में गतिशील है अतः लक्षण पहले नीचे की पत्तियों पर व फिर ऊपर की पत्तियों की और बढ़ते है।
- 3. गन्ना व गेहूँ आदि की फसलों में कल्ले कम फूटते है।
- 4. जड़ो का कम फैलना, दाने व फूल न बनना एवं फसल देर से पकना ।
- 5. पौधे बौने या छोटे रह जाते है।
- 6. पौधों के तनो का रंग लाल पड़ना।
- 7. पत्तियों का रंग गहरा हरा परन्तु किनारे बैंगनी रंग के हो जाना ।
लोहा तत्वों की कमी से होने वाले रोग-
- 1. पौधों की नई पत्तियों में अंतर्राशिरीय हरीमाहीनता लोहे की कमी का विशिष्ट लक्षण है।
- 2. लोहे की कमी से पत्तियो की केवल शिराऐं ही हरी दिखाई देती है और नई पत्तियाँ पीले एवं चमकीले पीले रंग की हो जाती है ।
👉 पादप पोषक तत्व तथा उनके सूचक पौधे निम्न है-
पोषक तत्व सूचक पौधे
- 1.नाइट्रोजन - फूलगोभी, पत्तागोभी
- 2.फॉस्फोरस - तोरिया
- 3.पोटेशियय - आलू
- 4.कैल्शियम - फूलगोभी, पत्तागोभी
- 5.मैग्गीशियम - आलू
- 6.आयरन - फूल गोभी,पत्तागोभी, आलू, जई
- 7.मैंगनीज - चुकन्दर, जई
- 8.सोडियम - चुकन्दर
- 9. बोरोन - सूरजमुखी
सर बहुत अच्छा कन्टेन्ट है,
ReplyDeleteअभी तक मिला होता तो आगे की अच्छी तैयारी होती
राजस्थान एग्रीकल्चर सुपरवाइजर के लिए काफी फायदेमंद है
sir kya ye jet ke liye bhi fhayade mand hai ya nahi batana plz
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