Seed and Seed Production | बीज एवं बीजोत्पादन


शस्य विज्ञान के इस टॉपिक के अंतर्गत हम बीज एवं बीजोत्पादन (Seed and Seed Production) के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ ही बीज एवं बीजोत्पादन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

Seed and Seed Production | बीज एवं बीजोत्पादन  


बीज (Seed) :-

➤ बीज क्या होता है- एक निषेचित (Fertilized) बीजाण्ड (Ovule) है जो पूर्ण रूप से भ्रूण (Embryo) से ढका रहता है जिसमें भोजन संचित रहता है। यह जीवित होता है तथा इसमें अंकुरण की क्षमता होती है।
बीज तकनीकी (Seed Technology)- कृषि विज्ञान की वह शाखा जिनमें बीज उत्पादन, रख रखाव, गुणवक्ता एवं परीक्षण सम्मिलित होते हैं।

भारत में बुवाई के लिए बीज चार प्रकार के होते है।
1. मूल केन्द्रक बीज (Nucleus seed)
2. प्रजनक बीज (Breeder seed )
3. आधार बीज (Foundation seed)
4. प्रमाणित बीज (Certified seed)

बीजों के कुल 6 प्रकार होते है-
1. मूल केन्द्रक बीज (Nucleus seed)
2. प्रजनक बीज (Breeder seed)
3. आधार बीज (Foundation seed)
4. प्रमाणित बीज (Certified seed)
5. पंजीकृत बीज (Registered seed)
6. सत्य बीज (Truthful seed)

बीज की श्रेणियां-

1. मूल केन्द्रक बीज/नाभिकीय बीज (Nucleus seed) - यह किसी विकसित होने वाली नयी किस्म का शुरूआती बीज है। जो सबसे कम मात्रा में उपलब्ध रहता है। इस वर्ग के बीजों में सर्वाधिक अनुवांशिक शुद्धता (100 प्रतिशत) पाई जाती है। इसे स्वयं प्रजनक द्वारा कृषि विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान संस्थाओं में उत्पादित किया जाता है। मूल केन्द्रक बीज के थेलों पर किसी भी रंग का टेग (प्रमाण पत्र) नहीं लगाया जाता है।

2.प्रजनक बीज (Breeder Seed) - सबसे शुद्ध बीज प्रजनक बीज कहलाता है। मूल केन्द्रक बीज के गुणन से प्राप्त होता है। इसकी आनुवंशिक शुद्धता शत प्रतिशत होती है। इसे स्वयं प्रजनक द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों में उत्पादित किया जाता है।

➤ प्रजनक बीज की गुणता प्रजनक बीज नियंत्रण दल द्वारा दी जाती है उसमें सुनहरी पीला प्रमाण पत्र दिया जाता है।
➤ प्रजनक बीज (Breeder seeds) के टैग का कलर सुनहरे पीले रंग का (Golden| yellow) होता है।
➤प्रजनक, मूल केन्द्र बीज उत्पादक होता है।
➤ प्रजनक, बीज का उत्पादन प्रजनक/संस्था द्वारा होता है।

3. आधार बीज (Foundation Seed) - प्रजनक बीज के गुणन से प्राप्त होता हैं। इसकी आनुवंशिक शुद्धता 99.5 से 99.9 (>99%) प्रतिशत एवं भौतिक शुद्धता 98 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए।
➤ आधार बीज का उत्पादन पंजीकृत निजी संस्थान/बीज निगम/ बीज प्रमाणिकरण संस्थान द्वारा होता है।
➤ आधार बीज (Foundation seed) के टैग (प्रमाण पत्र) का कलर सफेद होता है।
➤ प्रजनक बीज की मात्रा बढाने के लिए, अधिकृत बीज प्रमाणीकरण संख्या की देखरेख में, राजकीय कृषि फर्मो, अनुसंधानों पर तैयार बीज आधार बीज कहलाता है।
➤ आधार बीज से पंजीकृत बीज तैयार किया जाता है।

4. प्रमाणित बीज (Certified Seed) - आधार बीज से प्रमाणित बीज तैयार किया जाता है। यह बीज किसान को व्यापारिक फसल उत्पादन हेतु सर्वाधिक वितरित किया जाता है। इसका उत्पादन स्वयं प्रमाणिकरण संस्थान या उसकी देखरेख में किया जाता है। जैसे - सरकारी बीज निगम, बीज प्रमाणिकरण संस्थान या स्वयं किसानों द्वारा प्रमाणित बीज तैयार किया जाता है। इसकी अनुवांशिक व भौतिक शुद्धता 98 प्रतिशत होती है।
➤ प्रमाणित बीज के टैग (प्रमाण पत्र) का कलर नीला (Blue) होता है।

5. पंजीकृत बीज (Registered Seed) - आधार बीज के गुणन से प्राप्त होता है। यह भी आनुवंशिक रूप से शुद्ध होता है। सामान्यतः भारत वर्ष में इस श्रेणी का बीज उत्पादन नहीं किया जाता है।
➤ पंजीकृत बीज (Registered seed) के टैग का कलर बैंगनी (Purple) या नारंगी । (Orange) होता है।
➤ उन्नत बीज - वह किस्म जो स्थानीय किस्म के मुकाबले 10-15 प्रतिशत अधिक उपज देती हो तथा विभिन्न प्रकार की जलवायु व मिट्टी के प्रति अनुकूल हो।


अच्छे बीज के गुण तथा विशेषताएं -

1. अधिक उपज-निम्नतम लागत से अधिक उपज
2. अच्छी गुणवत्ता वाले- किस्म, पोषण व स्वाद में उत्तमता
3. कृषि क्रियाओं में सुविधा हो
4. संवेदनशीलता-अधिक खाद व पानी का अधिकाधिक लाभ उठा सके।
5. अधिक अनुकूलता-विभिन्न भूमियों व जलवायु वाले क्षेत्रों में अच्छी क्षमता प्रदर्शित करें।
6. विपरीत दिशाओं के प्रतिरोधिता-जैसे बीमारियों, कीड़ों, सूखा,बाढ़ आदि।
7. सही परिपक्वता- सही समय पर पकने वाली तथा एकरूपता वाली
8. भौतिक शुद्धता-बीज में अन्य फसलों खरपतवारों के बीज व कंकड़ मिट्टी आदि न हो।
9. उचित नमी-बीजों को भण्डार में संरक्षित करते समय आद्रता या नमी निर्धारित मात्रा से अधिक नहीं होनी चाहिये।
10. आनुवंशिक शुद्धता होनी चाहिये।
11. समरूपता - बीज रंग रूप व आकार में समान हो।
12. जैविकता-बीज की अंकुरण क्षमता अच्छी (कम से कम 90 प्रतिशत)
13. स्वस्थ बीज
14. वास्तविक उपयोगिता मान (Real value) - 75 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिये।

➤ 40-60 प्रतिशत मृदा नमी होने पर बीजों का अंकुरण होता है।
➤ बीजों का भण्डारण करते समय बीजों में नमी 5 से ज्यादा व 12 प्रतिशत से कम होनी चाहिये।


➤ अधिकतम भण्डारण में नमी प्रतिशत

- गेहूं व जो में 12 प्रतिशत
- चावल में 13 प्रतिशत
- दाल वाली फसलां में 9 प्रतिशत
- तेल वाली फसलों में 8 से 9 प्रतिशत

➤ संकर बीज किसानों को प्रत्येक वर्ष बदलना पड़ता है।
➤ अंकुरण प्रतिशत से बीज का मूल्याकंन करना चाहिये।
➤ बीजों का अंकुरण ज्ञात करने के लिये अंकुरण पेटिका उपकरण काम में लिया जाता हैं।
➤ बीजों के अंकुरण को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक तापमान होता है।
➤ बीजों के अंकुरण परीक्षण के लिए क्लोराइड परीक्षण किया जाता है।

अंकुरण प्रतिशत - (G%) (कुल अंकुरित बीजो की संख्या/कुल बोए गये बीजो की संख्या)x 100
शुद्धता प्रतिशत (P%) (शुद्ध बीजो का भार x कुल बीजों का भार) x 100
वास्तविकता मान (RV) (शुद्धता प्रतिशत x अंकुरण प्रतिशत)/100

➤ अंकुरण प्रतिशत ज्ञात करने के लिये नमूने में बीजो की संख्या
1. ISTA के अनुसार - 400 बीज
2. राष्ट्रीय नियम- 200 बीज
3. फसल स्तर पर - 200 बीज

➤ बीज का परीक्षण पैट्री डिश विधि, तौलिया विधि,मुडे हुये कागज के तौलिये द्वारा, बालू विधि, पैग डोल विधि द्वारा किया जाता है।
➤ बीजोत्पादन तकनीक विज्ञान वह विज्ञान जिसके अन्तर्गत उत्तम बीज उत्पादक का अध्ययन किया जाता हैं।
➤ रोगिंग वह प्रक्रिया होती है जिसमें किसी भी किस्म की आनुवंशिक शुद्धता बनाये रखने के लिये बीज की फसल से दूसरी किस्म के अवांछनीय पौधे परागण समय से पूर्व निकाल देने की प्रक्रिया को कहते है।


परीक्षण भार (Test weight) - एक निश्चित नम्बर के बीजों के भार को या सामान्यता 1000 बीजों के भार को कहा जाता है। जैसे- गेहूं के 1000 दानों का वजन 40 ग्राम बासमती धान का 21 ग्राम तथा देसी धान का प्रतिशत 25 ग्राम, फेलेरिसमाइनर 2 ग्राम होता है।


बीज सूचकांक (Seed Index) - एक निश्चित नम्बर के बीजों के भार को या सामान्यता 100 बीजों के भार को बीज सूचकांक (Seed Index) कहा जाता है। जिन फसल में बीजों का आकार मोटा होता है उनमें परीक्षण भार की जगह सीड एन्डेक्स काम में लेते हैं। जैसे- चने का सीड इन्डेक्स 16 से 17 ग्राम होता है।

➤ बीज उत्पादन में बीज की दर सामान्य बीज दर से 10-15 प्रतिशत कम रखते हैं।
➤ बीजजनित रोगों की रोकथाम के लिये बीजों को बुआई से पूर्व फफूंदनाशी या कवकनाशी रसायन से उपचारित करते है इस उपचारित करने के क्रम को FIR (Fungicide-Insecticide-Rhizobium) कहते है।
➤ तांबा पौधों में फफूंदजनित (Fungal) बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता पैदा करता है।
➤ बीज उपचार के लिए रोटरी डस्टर मशीन काम में लेते है।
➤ धान की कटाई के समय नमी 21 से 23 प्रतिशत होनी चाहिये।
➤ बीजों में मोल्ड्स सक्रिय हो जाती है जब बीजो में 16 से 18 प्रतिशत नमी रह जाती है।
➤ सीड ड्रील बीज बोने की सर्वोत्तम विधि होती है।
➤ धान की फसल में रोपाई हेतु डिबलर या प्लांटर मशीन उपयोग में लेते है।
➤ छिड़कवों या नाई विधि राजस्थान में सबसे अधिक प्रचलित विधि है।
➤ सीड ड्रील विधि से बुवाई करने पर व्यय कम आता है।
➤ सीड ड्रील से बुवाई करते समय खाद व बीज के मध्य दूरी 2 सेमी या 1 इंच तथा खाद हमेशा बीज से नीचे होना चाहिये।
➤ बीजों में सुसुप्तावस्था को तोड़ने के लिये साइटोकाइनिन पादप वृद्धि नियन्त्रक का उपयोग करते है।
➤ बीज में तीन प्रकार की सुसुप्तावस्था पायी जाती है।
➤ बीजोपचार में काम में आने वाले प्रमुख फफूंदनाशी- थायरम, वीटावेक्स, बावस्टिन, ब्रेसीकाल, कैप्टान, एगालाल, जाइनेब, डाइथेन एम-45, डाइथेन जेड-78, एग्रोसान जी एन, मेन्कोजेब, सेरेसान, बोर्डो मिश्रण, बरगण्डी मिश्रण आदि।
➤ RSSC (राजस्थान स्टेट सीड कार्पोरेशन) में किसानों को सर्वाधिक बीज दिलाने वाली संस्था है।
➤ किसी भी बीज की संग्रहण आयु को प्रभावित करने वाला कारक उसमें उपस्थित नमी होती है।
➤ कवक द्वारा ज्यादातर बीज जनित रोग फैलते हैं।
➤ वे बीज जिनमें डाले गये जीन के कारण अगली पीढी में उगने की क्षमता समाप्त हो जाती है वह निर्वेश बीज (Termination Seed) कहलाते है।
➤ बीटी कपास में बैसिलस थुरेंन्जिसिस नामक जीवाणु कप जीन डाला गया है।
➤ मोनसेन्टो एवं म्हाइको कम्पनी द्वारा बीटी कपास में पहली किस्म निकाली गयी है।
➤ भारत में GEAC(Genetic Engineering Approval Committee) बीटी को स्वीकृति प्रदान करता है।
➤ शुद्ध बीज (%) = (शुद्ध बीज का भार (ग्राम)/ सभी घटकों के भार का योग (ग्राम) x 100


बीजों की जीवन क्षमता परीक्षण (Sad Viability Test) -

1. टेट्राजोलियम परीक्षण - 2,3,5 टेट्रोजोलियम क्लोराइड या ब्रोमाइड नामक रसायन के 1 प्रतिशत घोल में बीजों को डूबोते हैं जिसे जीवित बीजों का रंग लाल या गुलाबी हो जाता है। इस टेस्ट को जैविक टेस्ट (बायोलोजिकल टेस्ट) भी कहते हैं।

2. पोटेशियम परमेगनेट विधि (KMnO4 Test) - यह बीजों. की जीवन क्षमता ज्ञात करने की गुणवता युक्त विधि है। इस विधि में बीजों को पोटेशियम परमेगनेट के घोल में डाला जाता है। जिससे घोल शोषित करने के बाद मृत बीजों का रंग बदल जाता है।

3. अन्य परीक्षण - गोडेक्स परीक्षण, इण्डिको कामोइन विधि
➤ बीज का घनत्व = बीज का भार / बीज का आयतन।
➤ उत्तम बीज में आनुवंशिक शुद्धता (दूसरी किस्मों और फसलों के बीज) के लिए अन्य फसलों के बीज 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए।
➤ भौतिक शुद्धता के लिए उत्तम बीज में निर्जीव पदार्थों का अनुमत परिणाम 1-2 तक ही होना चाहिए।
➤ उत्तम बीज में खरपतवारों के बीजों की उपस्थिति 0-0.5 तक आकृति तथा क्रियात्मक स्वास्थ्य से है जिसमें तीव्रता से समान अंकुरण व पौधों का विकास होता है।


फसलों में न्यूनतम बीज अंकुरण प्रतिशत होना चाहिए-

➤ गैहूं, जौ, चना = 85%
➤ धान, ज्वार, तिल, बरसीम, रिजका = 80%
➤ बाजरा, मूंग, मोठ, उडद, अरहर, चवला = 75%
➤ मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, ग्वार = 70%
➤ कपास = 65%
➤ फसलों के बीजों के नमूने दिये जाते है - जैसे - गेहूं 1000 ग्राम, चुकन्दर 500 ग्राम, ज्वार 900 ग्राम, जूट 400 ग्राम
➤ सर्वप्रथम कर्नाटक राज्य ने बीज सिद्धांत (Seed Law) अपनाया।
➤ बीज प्रमाणिकरण सर्वप्रथम उत्तरी अमेरिका में किया गया।
➤ बीज के परीक्षण में कार्यकारी प्रतिदर्श (Working Sample) में 25g बीज लेते है -
➤ 7 मार्च, 1963 को राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) की स्थापना की गयी।
➤ राजस्थान राज्य बीज निगम 1978 को बना।
➤ बीज अधिनियम वर्ष 16 नवम्बर 1966, बीज नियम वर्ष 1968 को बना।
➤ भारत वर्ष 1961 में अन्तर्राष्ट्रीय बीज परीक्षण संघ (International seed testing) का सदस्य बना।
➤ राष्ट्रीय बीज नियम (सीड एक्ट) 29.12.1966 में बिल पारित हुआ (पास हुआ) तथा 2 अक्टूबर 1969 को लागू हुआ।
➤ राष्ट्रीय बीज प्रमाणीकरण के मानक निर्धारित वर्ष 1971 में किये गये।
➤ राष्ट्रीय बीज नीति वर्ष 18 जून 2002 को घोषित की गयी।
➤ जब प्रतिभूत दशाओं जैसे सूखा, पाला, बाढ़ या महामारी की स्थिति में बीजों की गुणवत्ता घट जाती है तो ऐसे बीजों को अवमानक बीज (Sub Standard Seed) कहते है।
➤ जिन बीजों में जमाव क्षमता 5 से 6 प्रतिशत तक होती उन्हें अधपके बीज (Immature Seed) कहते है।
➤ सीड प्लॉट तकनीक आलू में अपनाते हैं।
➤ बीज के थैले पर लगे टैगों का रंग केन्द्रिय बीज प्रमाणीकरण बोर्ड (C.S.C.B.) देता है।
➤ बीज में बहुगुणीत (Polyploidy) शक्ति तथा रोगरोधी शक्ति विकसित करने के लिए इन्हें उत्परिवर्तन अभिकर्ता के कोल्चीसीन के घोल में डुबाया जाता है।
➤ कपास में बिनोले की मात्रा 60 से 70 प्रतिशत होती है।
➤ बीज के लिए पत्ता गोभी की खेती हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में सफलतापूर्वक की जा सकती है।
➤ गेहूं को भण्डारित करने के लिए न्यूनतम नमी 10 प्रतिशत होनी चाहिये।
➤ बीज की निष्क्रियता या सुसुप्ता तोडने के लिए भीगे बीजों को ऑक्सीजन की उपस्थिति में ठण्डे तापमान पर रखने की क्रिया को या कम तापमान पर बीजों कुछ समय के लिए रखना संस्तरण (Stratification) कहलाता है।
➤ आलू के बीजों की सुसुप्ता अवस्था तोडने के लिए थायोयूरिया काम में लेते है।
➤ पत्ता गोभी का बीजोत्पादन मैदानी क्षेत्रों में नहीं किया जा सकता हैं।
➤ उत्तम बीज का प्रयोग करने से 10 से 15 प्रतिशत तक अधिक उपज प्राप्त होती है।
➤ किसानों द्वारा निश्चित मापदण्डों को अपनाते हुए बीज उत्पादन किया जाता हो जिसे प्रमाणीकरण संस्था का प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हो पाता, वह सत्य अंकित बीज कहलाता है।
➤ नमी सुरक्षित आर्द्रता बीजों को सामान्य रूप में स्वस्थ एवं जीवनक्षमता बनाने रखने में प्रमुख कारक है।
➤ भंडारण व वितरण के दौरान अधिक नमी से बीज पर बीज में श्वसन क्रिया तेज हो जाती है।


बीज उत्पादन के लिए पृथक्करण की दूरी -

फसलें - आधार बीज - प्रमाणित बीज
➤ गेहूँ, जौ, जई, धान - 3 मी. - 3 मी.
➤ संकुल (Composite) मक्का - 400 मी. - 200 मी.
➤ संकर मक्का - 600 मी. - 300 मी.
➤ ज्वार, अरहर - 200 मी - 100 मी.
➤ चना, मूंग, उडद, मसूर - 10 मी. - 5 मी.
➤ सोयाबीन, मूंगफली - 3 मी. - 3 मी.
➤ पत्ता गोभी - 1000 मी. - 500 मी.
➤ गाजर - 800 मी. - 400 मी.
➤ बैंगन, भिण्डी, मिर्च - 400 मी. - 200 मी.
➤ टमाटर - 50 मी. - 25 मी.
➤ प्याज - 1000 मी. - 500 मी.
➤ कुकरबेटेसी कुल की सब्जिया - 1000 मी. - 500 मी.
➤ कपास संकर - 50 मी. - 30 मी.
➤ सरसो - 400 मी. - 200 मी.
➤ बाजरा संकर - 1000 मी. - 200 मी.
➤ बाजरा - 400 मी. - 200 मी.
➤ तिल - 50 मी. - 25 मी.
➤ अलसी - 200 मी. - 100 मी.


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